गुणायतन:
आत्मविकास का दिव्य सदन
तीर्थराज श्री सम्मेद शिखरजी समस्त जैन धर्मावलंबियों का शिरोमणि तीर्थ स्थल है। यहाँ देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु/पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं। इस परम पूज्य तीर्थक्षेत्र पर मंदिरों के अतिरिक्त ऐसा कुछ भी नहीं है जो यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं/पर्यटकों को आकर्षित कर सके। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए गुणायतन का निर्माण किया जा रहा है। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज की प्रेरणा एवं परिकल्पना से बनने जा रहे इस उपक्रम से न केवल तीर्थक्षेत्र का आकर्षण बढ़ेगा अपितु यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक नई दिशा मिलेगी। इस प्रणम्य स्थल की छाँव में तीर्थराज की पावन भूमि का स्पर्श और गुणायतन की आकर्षक प्रस्तुति जैन सिद्धान्त की वैज्ञानिकता को समज्ञने की नयी दृष्टि देगी। वस्तुत: सिद्ध भूमि की इस प्राण वायु में हम भावों से साक्षात सिद्धारोहण कर सकेंगे। तीर्थराज की वंदना के प्रयोजन की सिद्धि में मील का पत्थर सिद्ध होगा यह गुणायतन।

गुणायतन के जनक
‘यथा नाम तथा गुणः’ की उक्ति का जीवन्त रूप दिखाने वाले, बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुनिश्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज युगसाधक सन्तशिरोमणि दिगम्बर जैनाचार्य श्री108 विद्यासागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य हैं। उनका गहन-गम्भीर ज्ञान, निर्दोष-निस्पृह चर्या और सहज-सरल वृत्ति सहज ही सभी को अपनी ओर खींच लेते हैं। धर्म और दर्शन जैसे गूढ़ विषयों की सरल और सरस प्रस्तुति उनका अनुपम वैशिष्टय है। उन्होंने धर्म को पारम्परिक जटिलताओं से मुक्त करते हुए जीवन-व्यवहारोपयोगी रूप में प्रस्तुत किया है। यही कारण है कि एक बार उनके सम्पर्क में आने वाला व्यक्ति, उनसे अभिभूत होकर उनका ही हो जाता है। मुनिश्री की वाणी में ओज, लालित्य और सहज आकर्षण है। वे अपनी बात को बड़ी सहजता और सरलता से श्रोताओं के हृदय में उतार देने में सिद्धहस्त हैं, यही कारण है कि उनके प्रवचनों में हजारों-हजार श्रोताओं के मध्य भी सूचीपात नीरवता रहती है।



क्या है गुणायतन?
‘गुणायतन’ मुनिश्री के प्रौढ़ चिन्तन और परिपक्व परिकल्पना का जीवन्त प्रमाण है। जैन धर्मावलम्बियों के शिरोमणि तीर्थस्थल श्रीसम्मेद शिखर जी की तलहटी में निर्माणाधीन यह एक ऐसा उपक्रम है, जिसके माध्यम से पोथियों की बातों को पल में जाना जा सकेगा। गुणायतन एक ऐसा ज्ञानमन्दिर बनने जा रहा है, जो जैन सिद्धान्तों की प्रयोगशाला बनकर मानवमात्र के आत्मविकास का दिव्य द्वार सिद्ध होगा।
“गुणायतन बनेगा सभी की आशा
बच्चे भी समझेंगे आगम की भाषा”
- ज्ञानमन्दिर
- एनिमेशन होलोग्राम
- 9डी स्क्रीन
- आत्मिक दिग्दर्शन
- 270डिग्री स्क्रीन
- गुणस्थान
- संस्थापक सदस्य
- निर्माण नायक
- स्तम्भ
- सूत्रधार
- निर्माण सारथी
- निर्माण मित्र
- निर्माण निधि
- प्रतिमा स्थापना
- भव्य जिन मन्दिर
- ऑडिटोरियम
- संत निवास
- यात्री निवास
- कम्प्युटराइज्ड लाइब्रेरी
- ध्यान मन्दिर
- सल्लेखना भवन
- कीर्ति स्तम्भ

लोगों का सवाल यह …….
गुणायतन क्यों?
तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर समस्त जैन धर्मावलम्बियों का शिरोमणि तीर्थ स्थल है। यहाँ देश- विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं। इस परम पूज्य तीर्थ पर पूज्य मन्दिर के अतिरिक्त ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं / पर्यटकों को आकर्षित कर उन्हें जैन धर्म के मर्म का बोध करा सके। सन्त शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्रेष्ठ प्रमाणसागर जी महाराज का ध्यान जब इस ओर आकृष्ट किया गया तो उनके मुख से सहज ही निकल पड़ा। यहाँ कुछ ऐसा होना चाहिए, जिससे पोथियों की बातों को पलों में जाना जा सके। ‘मुनि श्री’ की इसी प्रेरणा का परिणाम है- ‘गुणायतन’, जिसे शब्द, ध्वनि, प्रकाश और चल चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करने जा रहे हैं।
“जीवंत झाँकियाँ सुन्दर कृति, सजेगी इससे हमारी संस्कृति”

कैसा है गुणायतन?
गुणायतन की संरचना केवल कला और स्थापत्य का अनुपम प्रस्तुती करण ही नहीं अपितु प्रकाश, ध्वनि के संयोजन एवं संगीत के माध्यम से जीवन्त-प्राणवन्त एवं ऊर्जस्वित जैन सिद्धांत का दर्पण भी है। जब-जब आगम पढ़ते हैं, तब-तब सोचते हैं – काश हम भी होते समवसरण में, सुनते भगवान की दिव्यध्वनि, देखते तीर्थंकरों का श्री विहार, सीखते सौधर्म की भक्ति, झुकते देखते सतेन्द्र, जानते अपने सात भव, पहचानते अपना गुणस्थान – इन्हीं भावनाओं की साकारता को आकार दे रहा है गुणायतन – आत्मविकास का दिव्य सदन।
“गुणायतन मुनिश्री के प्रौढ़ चिंतन और परिपक्व परिकल्पना का प्रमाण है”
चौदह गुणस्थान
जैन दर्शन में आत्मशक्तियों के विकास अथवा आत्मा से परमात्मा बनने की शिखर यात्रा के क्रमिक सोपानों को चौदह गुणस्थानों द्वारा बहुत सुंदर ढंग से विवेचित किया गया है। जैन दर्शन में जीव के आवेगों-संवेगों और मन-वचन-काय की प्रवत्तियों के निमित्त से अन्तरंग भावों में होने वाले उतार-चढ़ाव को गुणस्थानों द्वारा बताया जाता है। गुणस्थान जीव के भावों को मापने का पैमाना है।
जहाँ आप देखेंगे अत्याधुनिक तकनीक से सज्जित एनीमेशन, होलोग्राम, प्रकाश, ध्वनि और संगीत से युक्त सोरिन राइड एवं 4DX थिएटर में 270 डिग्री की स्क्रीन पर आत्मा से परमात्मा की जीवंत यात्रा जैन दर्शन में प्रतिपादित चौदह गुणस्थानों का जीवंत चित्रण। चतुर्गति भ्रमण से मोक्ष गमन तक की जीवंत झाँकी, बोलता हुआ समवसरण, भगवान का श्री विहार एवं मोक्ष गमन, जैन सिद्धांतो की वैज्ञानिक प्रयोग शाला।
“शिखरजी गिरिराज पर गुणायतन निर्माण, पल में ही सब जान ले चौदह गुणस्थान।
बच्चे-बच्चे में धर्म की अलख जगाएगा, पोथियों की बातें पलों में समझाएगा”
जुड़ें गुणायतन से

GUNAYATAN NYAS , HDFC Bank (80G) , Giridih

GUNAYATAN NYAS , ICICI Bank , Giridih

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
गुणायतन की योजनाओं से जुड़ कर आप भी बन सकते हैं गुणायतन के गौरव – सम्पर्क करें..